केंद्रीय मंत्री गडकरी ने कहा देश नई वाहन कबाड़ नीति के लिए तैयार है, क्या हैं इस बयान के मायने

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एमएसएमई और सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने कहा, “अब, हम नई वाहन कबाड़ नीति शुरू करने जा रहे हैं, जिसके तहत पुरानी कारों, ट्रकों और बसों को कबाड़ में तब्दील किया जाएगा।”

उन्होंने कहा कि सरकार ने देश के बंदरगाहों की गहराई को 18 मीटर बढ़ाने का फैसला किया है। इसके साथ ही रीसाइक्लिंग प्लांट वाले ऑटोमोबाइल क्लस्टर्स बंदरगाहों के पास लगाए जा सकते हैं।

मंत्री ने कहा कि इससे मिलने वाली सामग्री ऑटोमोबाइल उद्योग के लिए उपयोगी होगी क्योंकि यह कारों, बसों और ट्रकों को बनाने की लागत को कम करेगी, जिससे अंतरराष्ट्रीय बाजारों में भारत की प्रतिस्पर्धा बढ़ जाएगी।

गडकरी ने कहा, “पांच साल के भीतर, भारत सभी कारों, बसों और ट्रकों का नंबर एक विनिर्माण केंद्र होगा, जिसमें सभी ईंधन, इथेनॉल, मिथेनॉल, बायो-सीएनजी, एलएनजी, इलेक्ट्रिक के साथ-साथ हाइड्रोजन ईंधन सेल भी होंगे।”

वह उच्च शिक्षा के भविष्य पर एमआईटी एडीटी विश्वविद्यालय के प्रतिनिधियों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए एक बैठक को संबोधित कर रहे थे।

विशेषज्ञों ने कहा कि अधिकृत वाहन स्कैपिंग प्लांट स्थापित करने के लिए दिशानिर्देशों को सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय (MoRTH) ने अक्टूबर 2019 में जारी किया था। इसे सही दिशा में एक कदम के रूप में देखा गया था लेकिन अभी तक बहुत काम नहीं किया जाना बाकी है।

इन दिशानिर्देशों ने देश में वाहन स्क्रैपिंग सुविधाओं की स्थापना के लिए बुनियादी सुविधाओं की जरूरत की प्रक्रिया को विस्तृत किया और इस व्यवसाय में आने में रुचि रखने वाली संस्थाओं के लिए प्रक्रिया को सुव्यवस्थित किया।

ऑटो स्क्रैपिंग पॉलिसी के फायदे

गडकरी ने बताया कि उन्होंने मंत्रालय के अधिकारियों को ऑटो स्क्रैपिंग नीति को जल्दी से अंतिम रूप देने का निर्देश दिया है और कहा है कि इससे लागत में कमी आएगी। ऑटो स्क्रैपिंग पर प्रस्तावित नीति को मंजूरी मिलने के बाद यह दोपहिया समेत सभी वाहनों पर लागू होगी।

नीति को मंजूरी के बाद भारत एक वाहन क्षेत्र के बड़े विनिर्माण केंद्र के रूप में उभर सकता है। क्योंकि वाहन उद्योग से जुड़ा माल यानी स्टील, एल्युमीनियम और प्लास्टिक कबाड़ के रिसाइकिल होने से मिल जाएगा। इससे वाहनों की कीमत में 20 से 30 फीसदी कमी आएगी। नीति के मसौदे के मुताबिक 15 साल पुराने वाहनों को हर छह महीने में उसके सही होने का प्रमाणपत्र (फिटनेस सर्टिफिकेट) लेना होगा। अभी यह समयसीमा एक साल है।

इतने वाहन हो जाएंगे कबाड़

प्रस्तावित वाहन कबाड़ नीति को कैबिनेट की मंजूरी मिलते ही, साल 2005 के पहले के रजिस्टर्ड वाहनों के लिए फिर से रजिस्ट्रेशन और फिटनेस करवाना महंगा पड़ सकता है। सरकार के आंकड़ों के मुताबिक देश में इन दिनों 2005 से पहले के रजिस्टर्ड 2 करोड़ से ज्यादा वाहन सड़कों पर हैं।

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