हर इक ग़ज़ल में तुम्हारा ख़्याल थोड़ी है।
ये शायरी है ये हिज़्र-ओ-विसाल थोड़ी है।
हमारे पांव के छालों पे तंज़ मत करना
हमारे जैसा तुम्हारा भी हाल थोड़ी है।
किसी को सोच के सदियां गुज़ार दी हमने,
ग़मे-हयात का हमको मलाल थोड़ी है।
तू आफ़्ताब बुलंदी तुझे मुबारक हो
तेरा उरूज हमारा ज़वाल थोड़ी है।
किसी के हिज़्र में जीना कमाल है ‘ख़ुशबू’
किसी के हिज़्र में मरना कमाल थोड़ी है।
कुसुम ख़ुशबू
धालीवाल, ज़िला गुरदासपुर (पंजाब)
कवयित्री शायरी जगत के सशक्त हस्ताक्षर प्रसिद्द शायर श्री राजेन्द्र नाथ ‘रहबर’ जी की शिष्या हैं।