बच्चे भूख से बिलबिलाते तो कलेजा फट जाता था

170

लॉकडाउन की दिक्कतों ने मजदूरों का मनोबल तोड़ दिया है। अधिकतर प्रवासी मजदूरों का कहना है कि अब अपने गृह राज्य के अलावा कहीं काम नहीं करेंगे। महाराष्ट्र, पंजाब, दिल्ली और हरियाणा की कुछ कंपनियों के ठेकेदारों ने जो दर्द दिया है उसे भूल पाना आसान नहीं है। इन मजदूरों को पुनर्वास विवि में बनाए गए अस्थाई शेल्टर होम से शनिवार को यूपी के जिलों के लोगों को बसों से उनके गृह जिलों में भेजा गया।

बहराइच निवासी उमा ने बताया कि पुणे में एक कंपनी में पति के साथ मजदूरी करती थी। लॉकडाउन में काम बंद हुआ तो मालिक ने पैसे देने से मना कर दिया। बच्चों को लेकर पैदल ही बहराइच के लिए निकल लिए।

उमा कहती हैं कि रास्ते में हर कदम पर जो दर्द मिला है, उसे बयां नहीं किया जा सकता। दो छोटे बच्चे जब भूख से बिलबिलाते थे तो कलेजा फट जाता था। तीन-तीन दिन भूखे रहकर समय काटा अब अपने यूपी में ही काम करेंगे। यहां भूखे तो नहीं मरेंगे।

नहीं मिली मददः गोरखपुर निवासी रामू, अमन, रामदेव, सोनू और अन्य लोगों ने बताया कि वह पंजाब में काम करते थे। ई-पास के लिए आवेदन किया, सरकार से ट्विटर व अन्य माध्यमों से गुहार लगाई गई, लेकिन कुछ नहीं हुआ, जिसके पास गए उसने भगा दिया।

श्रमिकों को बांटा भोजन
नॉर्दन रेलवे मेन्स यूनियन ने चारबाग स्टेशन पर स्पेशल ट्रेन के 1600 यात्रियों को भोजन व मास्क दिए। करीब 36 कुलियों को 1000-1000 रुपये दिए गए। ऑल इंडिया रेलवे मेन्स फेडरेशन के महामंत्री शिव गोपाल मिश्रा ने बताया कि स्पेशल ट्रेनों से मजदूरों को घर लाने का प्रयास अच्छा है।