लॉकडाउन: 56 दिन और 54 कत्ल… पढ़िए- पश्चिमी यूपी के जिलों की ये खास रिपोर्ट

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देश में 25 मार्च से लॉकडाउन लागू हुआ। कामकाज बंद रहे, लोग घरों में रहे और समय का सदुपयोग रचनात्मक कार्यों में किया। कुछ लोग ऐसे भी थे जिन्होंने खाली दिमाग शैतान का घर वाली कहावत को चरितार्थ किया। 56 दिन के इस लॉकडाउन में मेरठ, सहारनपुर, बिजनौर, शामली, बागपत और मुजफ्फरनगर में 54 कत्ल हो चुके हैं। कहीं खेत की डोल काटने के विवाद पर तो कहीं कुत्ता घुमाने के विरोध पर ही हत्या कर दी गई। रिश्तों का भी खून हुआ, कहीं बेटे ने पिता की हत्या की तो कहीं पिता ने पुत्र को मार डाला। छोटी-छोटी बातों पर लोगों का खून खौल रहा है और वह बात बेबात लोगों की जान ले रहे हैं। मनोवैज्ञानिकों का भी मानना है कि खालीपन में गुसैल स्वभाव और चिड़चिड़ापन ऐसी वारदात का मुख्य कारण रहा।

मई माह में अब तक हत्या की 11 वारदात हो चुकी हैं। ट्रॉली खड़ी करने को लेकर हुई कहासुनी में खिंदौड़ा संघर्ष में दो बुजुर्ग सगे भाइयों की हत्या कर दी गई। नंगला बहाड़ी में शराब पीकर आए बेटे से हुई बहस में पिता ने सिर में लोहे की रॉड मारकर उसकी जान ले ली। बड़ौत में मजदूर, किरठल में किसान की हत्या शराब के नशे में ही की गई है। किरठल गांव में 18 मई को जनसेवा केंद्र संचालक की पूर्व सैनिक ने गोली मारकर हत्या की। दो मई को जिला कारागार में बंदी ऋषिपाल की हत्या कर दी गई। एसपी प्रताप गोपेंद्र यादव ने कहा कि प्रत्येक वारदात की अलग वजह है।

जनपद में लॉकडाउन में मामूली विवादों और रंजिश को लेकर पिछले एक माह में हत्या की छह वारदात हुई। 28 अप्रैल को गांव खेड़ा गदाई में आड़ू तोड़ने का विरोध करने पर हर्ष की गोली मारकर हत्या कर दी थी। दो दिन बाद कस्बा झिंझाना में मामूली कहासुनी में यूसुफ की हत्या कर दी थी। सात मई को गांव जलालपुर में खेत पर काम कर रहे नरेश को डंडों से पीटकर मार डाला।

एसपी विनीत जायसवाल का कहना है कि मामूली विवादों व रंजिश में हत्या की जो घटनाएं हुई है, उनमें तत्काल मुकदमा दर्ज कर कार्रवाई की गई है। मनोचिकित्सक डॉक्टर अरुण राय कहते हैं कि हत्या जैसी जघन्य घटनाओं में अपराध करने वाले लोगों की मानसिकता पर निर्भर करता है।

गांव बड़सू में छह अप्रैल को खेत की डोल काटने के विवाद में किसान की हत्या कर दी। गांव अमीरनगर में नौ अप्रैल को कुत्ता घुमाने को लेकर विवाद में युवक की गोली मारकर हत्या कर दी गई। गांव हबीबपुर में जीजा ने नौ मई को नाबालिग साली को पीटकर मार डाला। नावला में मनोरोगी युवक ने वृद्ध पिता को हैंडपंप की हत्थी से पीटकर मार डाला। ककरौली में 13 मई को ग्रामीण की कहासुनी के बाद पीटकर हत्या कर दी गई। फुगाना के गांव डूंगर में 27 मार्च को निखिल की उसके भाई अंकुर ने गोली मारकर हत्या कर दी। ककरौली के गांव खाईखेड़ी ईंट-भट्ठे पर पिता ने बेटी की हत्या कर दी। एसएसपी अभिषेक यादव का कहना है कि क्षणिक आवेश के साथ ही मामूली कहासुनी भी कई बार हत्या की वजह बनता है।

बीते तीन सप्ताह से हत्या और संघर्ष के मामले बढ़ गए हैं। पिछले तीन सप्ताह में आठ की हत्याएं हुई हैं। इसके अलावा 11 आपसी संघर्ष की वारदात हुई हैं। लखनौती क्षेत्र में घरेलू कलह में बेटे ने ही पिता की गला घोंटकर हत्या कर दी। भांग पिलाने के मामूली विवाद में बड़गांव क्षेत्र में एक की जिंदगी छीन ली गई। महज ताश खेलने को लेकर झगड़े के बाद एक ग्रामीण की हत्या कर दी गई। प्रेम प्रसंग में हताशा के शिकार किशोर ने प्रेमिका सहित खुद को खत्म कर दिया। एसपी सिटी विनीत भटनागर कहते हैं कि लॉकडाउन के पहले चरणों में सड़क हादसों से लेकर हत्या तक के मामले काफी कम थे। अब कुछ घटनाएं सामने आई हैं।

लॉकडाउन के दौरान बिजनौर जिला भी हत्याओं से अछूता नहीं रहा है। जिले में दो हत्या हुईं। इनमें एक किशोरी की हत्या उसके परिजनों ने ही की थी। दूसरी घटना एक महिला के साथ हुई और उसकी हत्या कर शव फेंक दिया गया था। एसपी संजीव त्यागी के मुताबिक पुलिस को अपराधों पर अंकुश लगाने के निर्द