DSP देविंदर पाकिस्तानी हाईकमीशन के अधिकारी से जुड़ा था, जो जम्मू-कश्मीर में आतंकियों की भर्ती और टेरर फंडिंग में शामिल था

161

आदित्य राज कौल

नई दिल्ली. जम्मू-कश्मीर में आतंकी साजिश के मामले में नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी (एनआईए) ने आरोपी डिप्टी एसपी देविंदर सिंह, हिजबुल मुजाहिदीन के आतंकवादी सैयद नवीद मुश्ताक उर्फ नवीद बाबू, रफी अहमद राठर, तनवीर अहमद वानी, सैयद इरफान और वकील इरफान शफी मीर के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की।

भास्कर को जानकारी मिली है कि एनआईए की पूछताछ के दौरान आरोपियों ने कुबूल किया है कि वे लगातार पाकिस्तानी हाईकमीशन के अधिकारियों के संपर्क में थे। हाईकमीशन में एक अधिकारी शफाकत असिस्टेंट के तौर पर काम करता था। लेकिन, असल में वह जम्मू-कश्मीर में आतंकियों की भर्ती, टेरर फाइनेंसिंग और हवाला कारोबार का जरिया था।

इन अधिकारियों ने देविंदर को खुफिया सूचनाएं देने के लिए तैयार किया था। देविंदर भी इनसे लगातार सिक्योर सोशल मीडिया प्लेटफार्म के जरिए बातचीत करता था।देविंदर को 11 जनवरी 2020 को आतंकी नवीद के साथ गिरफ्तार किया गया था।

एनआईए की चार्जशीट में क्या आरोप तय किए गए

  • एनआईए ने जनवरी 2020 में देविंदर को नवीद बाबू और दो अन्य आतंकवादियों के साथ गिरफ्तार किया था। 6 महीने बाद एनआईए ने अपनी चार्जशीट पेश की है। एनआईए ने कहा कि देविंदर ने नवीद बाबू, इरफान शफी मीर, इरफान अहमद के लिए जम्मू में ठिकाने का इंतजाम किया था।
  • देविंदर ने हिजबुल के इन आतंकियों के आने-जाने के लिए अपने वाहन का इस्तेमाल किया। इसके अलावा उन्हें हथियार देने का भी वादा किया था।
  • सभी आरोपी हाईकमीशन में असिस्टेंट के तौर पर काम करने वाले शफाकत के लगातार संपर्क में थे, जो हवाला लेनदेन, टेरर फंडिंग और आतंकियों की भर्ती में शामिल था। देविंदर को खुफिया सूचनाएं देने के लिए पाकिस्तानी अधिकारियों ने तैयार कर लिया था।

देविंदर की मदद से नवीद बाबू को मिलते थे हथियार

एनआईए की जांच में खुलासा हुआ है कि पूर्व कॉन्स्टेबल नवीद बाबू जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद कई हत्याओं में शामिल था। वह भोलेभाले मुस्लिम युवाओं को हिजबुल में शामिल करता था। उसे एलओसी ट्रेडर तनवीर अहम वंत से फंडिंग मिलती थी। तनवीर उसे पीओके स्थित व्यापारियों की मदद से फंड मुहैया करवाता था।
नवीद बाबू सीमा पार से हथियार तस्करों की मदद से असलहा हासिल करता था। इसके अलावा देविंदर भी उसके हथियारों का इंतजाम करता था। इन्हीं हथियारों का इस्तेमाल आतंकी गतिविधियों में किया जाता था।

पाक में हिजबुल कमांडरों और आईएसआई अफसरों से भी मिले थे आरोपी
सभी आरोपी पाकिस्तान स्थित हिजबुल मुजाहिदीन और पाकिस्तानी एजेंसियों के साथ मिलकर भारत में हिंसक गतिविधियों को अंजाम देने की साजिश रच रहे थे। हिजबुल के सरगना सैयद सलाहुद्दीन और उसे डिप्टी कमांडर जम्मू स्थित आतंकी कमांडरों को मदद करते थे।

एक अन्य आरोपी इरफान शफी मीर ने पाकिस्तान में हिजबुल के टॉप कमांडरों से मुलाकात की थी। इसके अलावा वो आईएसआई के उमर चीमा, अहसान चौधरी और सुहैल अब्बास से भी मिला। इरफान को जिम्मेदारी दी गई थी कि वो हवाला लेनदेन के लिए नए चैनल एक्टिवेट करे ताकि कश्मीर घाटी में आतंकी गतिविधियों के लिए फंडिंग की जा सके।

मीर के साथ पाकिस्तानी हाईकमीशन के अधिकारी भी संपर्क में थे। वे मीर को फंड मुहैया करवाते थे ताकि भारत सरकार के खिलाफ सेमीनार करवाए जा सकें और भीड़ इकट्ठा की जा सके।

मीर को पैसा और आदेश हाईकमीशन ही देता था। मीर के जरिए ही कई कश्मीरियों को वीजा पर पाकिस्तान भी भेजा गया। Thankyou danik bhaskar