नई दिल्ली.
जून में देश की खुदरा महंगाई की दर 6.09 फीसदी दर्ज की गई। यह दर भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) को दिए गए रेंज से ज्यादा है। इससे आरबीआई दोहरे संकट में फंस गया है। आरबीआई की दुविधा यह है कि वह ब्याज दर बढ़ाकर महंगाई कम करे या इसे घटाकर आर्थिक विकास तेज करे।
सरकार ने आरबीआई को खुदरा महंगाई की दर दो फीसदी की घटबढ़ की गुंजाइश के साथ औसत 4 फीसदी पर बनाए रखने की जिम्मेदारी दी है। लेकिन, आरबीआई के ऊपर आर्थिक विकास दर को तेज रखने की भी जिम्मेदारी है। मौजूदा स्थिति में ये दोनों बातें जरूरी हैं।
दो महीने के बाद जारी हुए हैं खुदरा महंगाई के आंकड़े
सोमवार को मिनिस्ट्री ऑफ स्टैटस्टिक्स एंड प्रोग्राम इंप्लीमेंटेशन की तरफ से जारी डाटा के मुताबिक, जून 2020 में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) पर आधारित खुदरा महंगाई दर 6.09 फीसदी रही। इस दौरान खुदरा खाद्य महंगाई दर 7.87 फीसदी रही।
इससे पहले अप्रैल और मई में सरकार ने लॉकडाउन की वजह से महंगाई के आंकड़े जारी नहीं किए थे। सरकार ने तब कहा था कि लॉकडाउन की वजह से डाटा नहीं जुटाया जा सका है, जिसकी वजह से महंगाई दर का आंकड़ा नहीं जारी किया जाएगा।
मार्च में खुदरा महंगाई की दर 5.84% थी
हालांकि सरकार ने अप्रैल में मार्च के महंगाई दर का आंकड़ा रिवाइज किया। मार्च में पहले खुदरा महंगाई दर की ग्रोथ 5.91 फीसदी बताई गई थी, जिसे रिवाइज करके 5.84 फीसदी कर दिया गया।